क्योंकि
आप
बार-बार गढ़े में गिरते हैं
समय के सूरज से
आँख मूँदे रहते हैं
रूपए को
माई बाप कहते हैं
रचनाकाल: १०-०२-१९७५
क्योंकि
आप
बार-बार गढ़े में गिरते हैं
समय के सूरज से
आँख मूँदे रहते हैं
रूपए को
माई बाप कहते हैं
रचनाकाल: १०-०२-१९७५