इसका मुहावरा ही और है
यह सबसे पहले आती है
शेष सब इसके बाद —
एक भार की तरह
आत्म-प्रचार की तरह
इसमें उदारता भी स्वाभाविक होती है और उपेक्षा भी
यह जब जी चाहे उतारकर दी जा सकती है
उधार की तरह
इसका मुहावरा ही और है
यह सबसे पहले आती है
शेष सब इसके बाद —
एक भार की तरह
आत्म-प्रचार की तरह
इसमें उदारता भी स्वाभाविक होती है और उपेक्षा भी
यह जब जी चाहे उतारकर दी जा सकती है
उधार की तरह