Last modified on 16 अगस्त 2008, at 06:49

अंगीकृत / महेन्द्र भटनागर

ओ विशालाक्षी
नील कंठाक्षी
शुभांगी !
शाप
जो तुमने दिया

अंगीकृत !

ओ पयस्विनी
कल्याणी !
विषज उपहार
जो तुमने दिया

स्वीकृत !

