Last modified on 16 जुलाई 2020, at 22:09

अगर तुम साथ हो / कैलाश झा 'किंकर'

अगर तुम साथ हो
कहीं पर रात हो।

सफर आसां बने
तो मंज़िल पास हो।

तुम्हीं कविता-ग़ज़ल
तुम्हीं संसार हो।

मचलते ख़्वाब के
तुम्हीं आधार हो।

सदा हँसते रहें
तो दुनिया ख़ास हो।

मुहब्बत के लिए
दिलों में प्यार हो।