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हम बालक हैं, हम बन्दर हैं,
हम भोले-भाले सुन्दर हैं !
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हर रोज़ सुबह उठ जाते हैं,
मुँह धोकर बिस्कुट खाते हैं !
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दो कप चाय गरम जब मिलती
तब यह सूरत जाकर खिलती !
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फिर, पंडितजी से पढ़ते हैं,
हम नहीं किसी से लड़ते हैं !
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माँ के कहने पर चलते हैं,
ना रोते और मचलते हैं !
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दिन भर हँसते-गाते रहते,
भारत-माता की जय कहते !
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हम रहते भाई मिल-जुल कर
हो भला हमें फिर किसका डर ?