Last modified on 4 जुलाई 2014, at 06:44

अठारै / प्रमोद कुमार शर्मा

सबद नैं पढो
-चढो
ऊंचै सूं ऊंचा इण ढाळ
मार सकै नीं काळ-अकाळ

सबद सांचो है
सै सूं पुराणो खांचो है
जिण मांय मिनख ढळै
पण अबै :
भाखा रो जी घणोई बळै
आंगणै मांय
-खड्डो
सबद नैं पढो।