कलम भी लगती है बहकने
सुखने लगती है स्याही
लगती है भदरंगी
कागज भी मानों प्रतिकार करता हो
शब्द लगते है रुख से
जब भी कभी
कोशिश करता हूँ
अतीत को लिखने को
कलम भी लगती है बहकने
सुखने लगती है स्याही
लगती है भदरंगी
कागज भी मानों प्रतिकार करता हो
शब्द लगते है रुख से
जब भी कभी
कोशिश करता हूँ
अतीत को लिखने को