चहचहाटें...
और पैजनियों-सी
आहटें...
जहाँ कल तक
रून झुन
ठुमकती थी....।
आज सब कुछ
अकेलेपन के
सन्नाटे की
दस्तक
हो गई है...।
ऊब अनाहट-सी
आहट भी
अनहद-नाद
बन ठनकती है।
चहचहाटें...
और पैजनियों-सी
आहटें...
जहाँ कल तक
रून झुन
ठुमकती थी....।
आज सब कुछ
अकेलेपन के
सन्नाटे की
दस्तक
हो गई है...।
ऊब अनाहट-सी
आहट भी
अनहद-नाद
बन ठनकती है।