रेंगते हुए एक लम्बे से केंचुए को,
मैंने जूते की नोक से जैसे ही छेड़ा,
वह पहले तो सिमटा,
फिर गुड़ीमुड़ी नन्हीं एक गोली बन,
सहसा स्थिर हो गया ।
क्या मैं जानता था
देखूँगा इस तरह
गीली मिट्टी में अनायास
अपना प्रतिबिम्ब ?
रेंगते हुए एक लम्बे से केंचुए को,
मैंने जूते की नोक से जैसे ही छेड़ा,
वह पहले तो सिमटा,
फिर गुड़ीमुड़ी नन्हीं एक गोली बन,
सहसा स्थिर हो गया ।
क्या मैं जानता था
देखूँगा इस तरह
गीली मिट्टी में अनायास
अपना प्रतिबिम्ब ?