पढ़े लिखे बर जाव-गुन सीखे बर जाव
पढ़ लिख के भैया ! बने नाम ला कमाव ।
अपन गाँव मा शाला-भवन, जुरमिल के बनाव
ओकर हाता के भितरी मा, कुँआ घलो खनाव
फुलवारी अउ रुख लगाके, अच्छा बने सजाव
सुन्दर-सुन्दर पोथी-पुस्तक, बाँचे बर मंगवाव ।
जउने चाहू होही, दू-दू हाथ तो लगाव
पढ़-लिख के भैया ! बने नाम ला कमाव ।
गुरूजी मन ला सदा सब किसम, खुश राखत तुम जाव
छै से ग्यारा बारिस भीतर के, सब लइका पढ़वाव
टूरा हो के टूरी सब ला, ज्ञानी-गुनी बनाव
किसिम-किसिम के चिजबस गढ़ना, संगे सँग सिखवाव ।
बनैं कमाई पूत, सबो झन अइसन जुगुत जमाव
पढ़ लिख के भैया ! बने नाम ला कमाव ।