शेष हैं दश वर्ष बीसवीं सदी के ।
सूर्य अभी कितनी बार,
उत्तरायण, दक्षिणायन होगा –
गिनने की ज़रूरत नहीं ।
साम्राज्यवादी युद्धों,
इंक़लाबों, प्रतिक्रान्तियों की –
यह बीसवीं सदी ।
आतंक, बलात्कारों, अपहरणों की –
यह बीसवीं सदी ।
जातियों में जागृत स्वतन्त्रता की –
यह बीसवीं सदी ।
चान्द-तारों तक –
अन्तरिक्ष भेदी, आदमी की पहुँच की –
यह बीसवीं सदी ।
अन्तिम सांस लेते धर्मों, मजहबों की –
यह बीसवीं सदी ।
पूँजीवादी, समाजवादी –
लोकतन्त्रों के टकराव की –
यह बीसवीं सदी ।
शेष हैं दश वर्ष अभी
युद्धों, शीतयुद्धों, आतंकों की –
विभीषिका के व्यूहों को,
तोड़ने में आमादा, दुनिया का लोकजीवन ।
बीसवीं सदी का अन्त,
किस भविष्य को उकेरेगा ?
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07 फ़रवरी 1990