अन्त में, मधुरता के साथ
मज़बूत क़िलाबन्दी के बीच घर की दीवारों से,
एक दूसरे से गुँथे तालों की पकड़ से,
कसकर बन्द द्वारों की रखवाली से
मुझे बाहर प्रवाहित होने दो।
निःस्वन मुझे आगे सरक जाने दो,
कोमलता की कुंजी से तालों को खोल डालो — फ़ुसफ़ुसाहट के साथ,
द्वार को खोल डालो, ओ आत्मा !
मधुरता से — अधीरता मत दिखलाओ,
(ओ मर्त्य तन, तुम्हारी पकड़ सबल,
तुम्हारी पकड़ सबल है, ओ प्यार।)
1868
अंग्रेज़ी से अनुवाद : चन्द्रबली सिंह