अन्धेरे की पदचाप
सुनी है कभी
महीन सी ध्वनि होती है
जिसमें मिलन का उत्साह
बिछोह का क्रन्दन
एक लम्बी चुप्पी और गहरा रास्ता
जो दिखाई नहीं सुनाई देता है
अन्धेरा कितना कुछ कहता है
पर क्या सब
दर्ज़ हो पाता है !
अन्धेरे की पदचाप
सुनी है कभी
महीन सी ध्वनि होती है
जिसमें मिलन का उत्साह
बिछोह का क्रन्दन
एक लम्बी चुप्पी और गहरा रास्ता
जो दिखाई नहीं सुनाई देता है
अन्धेरा कितना कुछ कहता है
पर क्या सब
दर्ज़ हो पाता है !