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अन्यायी की उम्मीद / रंजना जायसवाल

मेरा अपराध यह है
कि मैंने सच बोला है
अब तुम निकाल सकते हो
मेरी आँखें
काट सकते हो
जुबान
मार सकते हो पत्थर
चुन सकते हो दीवार में
और
कर सकते हो उम्मीद कि
बदल जाऊँगी मैं
यह नहीं जानते कि
नामुमकिन है यह उम्मीद