भूल थी जो
कण जितनी सूक्ष्म
तुमने उसे विस्तार दिया
निर्दोष समान दोष
को क्यों छल कहा?
अपराध ही है जब, तो
लो अब
अंकित रहेंगे दंड इसके।
भूल थी जो
कण जितनी सूक्ष्म
तुमने उसे विस्तार दिया
निर्दोष समान दोष
को क्यों छल कहा?
अपराध ही है जब, तो
लो अब
अंकित रहेंगे दंड इसके।