ठाली बूली ठिठकारियोड़ी ठंड में
बै आवै
अभ्यास सारू
सारी-सारी रात
धोरां में धमाका
धूजै रेत
डरूं-फरूं लुगायां
कांई हुवैला रै सोच में मिनख
धक-धक करै छाती
चिरळी मार जागै
घरां में टाबर
संभाळै मा
देखै अर डरै
राजा बेटै रो बिछाणो
मूत सू आलो !