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अमर्ष / सुनीता जैन

हम दोनों
एक-दूसरे के
कुछ नहीं,

यह कुछ नहीं
हुए भी
बरस
दसेक हुए,

पर आज जब
फिर उसी मधु-सने
स्वर में
तुमने कहा,
”मुझे तुम्हारी
याद आयी,“

तो वह क्या था-
अमर्ष
या आत्म-हनन,
जिसने मेरी
ईंट-ईंट
कर दी?