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आकाशवाणी / अम्बिका दत्त


कई बार
जब हम मातम नही मनाना चाहते
लम्बी ठण्डी उदास और थकी हुई
ताने सुनकर
हमें रोने के लिए मजबूर किया जाता है
हमारी फरमाईश पर
सिर्फ गाने सुनवाए जाते है
खबरें
कभी भी हमारी पसन्दीदा नहीं होती।