आखिरी वक्त
जब हौंठों पर जमे शब्दों पर
सोच बुझने लगेगी थक कर
तब
ना कोई शिकायत निकलेगी
ना कोई प्रार्थना
इस प्रार्थना को
क्यों ना उठा कर रख दूँ
आखिरी वक्त के लिए
आखिरी वक्त
जब हौंठों पर जमे शब्दों पर
सोच बुझने लगेगी थक कर
तब
ना कोई शिकायत निकलेगी
ना कोई प्रार्थना
इस प्रार्थना को
क्यों ना उठा कर रख दूँ
आखिरी वक्त के लिए