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आग (तीन) / विष्णु नागर

जिस आग को बुझाता हूँ
उसी आग को बुझाता हूँ

आग से तो मेरा ऐसा रिश्ता है

आग से तो
मैंने रोटी सेंक ली
आग से तो
मैंने कपड़े बचा लिए
आग से तो
मैंने बच्चे को डरा दिया

आग से तो मेरा ऐसा ही रिश्ता है

आग
कहीं लगी तो नहीं?