लिखल चित्र चन्द्रमाक' बनि गेल रोटी गोल-गोल
अन्न्देव, कलयुगक देव, भेल स्वाहा जठरानल
गीत-कविता लिखल, बनल शिशु-गीत–लोरी,
सुर गुंजल देश-देशांतर, सुर-मधुर बनि
खिस्सा-पिहानी, संघर्ष-कथा, जीवनक चाक पर
चकरघिन्नी नचैत रहल माटिक' पात्र पर।
पात्रे लक्ष्य छल, गढ़ब चिक्कन-चुनमुन
अ स अनार, क स कबूतर, संगीत–सरगम
आकाशकुसुम तोरब, एतेक नै छल सरल
जमीन पएर जकड़ने धुरी पर रहल!
पराभव नइं मेधाक' , ई त आनंद-तांडव छल
भविष्य–आकांक्षा विस्तृत ब्रह्माण्डक' छल
एहि कर्मकांडक' परत तल, अमृत श्रोत निर्मल
सभ्य औ'सुसंस्कृत मानवताक' निर्माण छल।