आपका चित्र
जहाँ भी जिसने लगाया
आपका आशीष उसने पाया
जिंदगी का दौर
उसने आपसे चलाया
न आपने उसे
न उसने आपको भुलाया
गरीब ने गरीब रहकर भी
आपका गुन गाया
अमीर ने अमीरी का हौसला बढ़ाया
अवसर से लाभ
राजनीति ने उठाया
शासन को
आपके ही नाम ने जिलाया
[गाँधी के चित्र को देखकर]
रचनाकाल: ३०-०१-१९६८