आपकी तलवार को धोखा हुआ
या मिरी दस्तार को धोखा हुआ
नाव को लहरें बहाकर ले गयीं
आपकी पतवार को धोखा हुआ
कान के होते हुये बहरी रही
आज फिर दीवार को धोखा हुआ
क्या ग़ज़ब है अश्क भी बिकने लगे
वाक़ई.....बाज़ार को धोखा हुआ
कब बरसता है भला अब्र-ए-फ़रेब
हाँ, दिल-ए-बेज़ार को धोखा हुआ