थारै मिंदरियै पूरीजतौ संख म्हारै घर-आंगणियै बाजतौ कांसी-थाळ।
थारै अर म्हारै आपै रा ऐहलांण।
आपां सूं ई तौ है औ नाद गूंजतौ आखै आभै क्यूं म्हारा देव? </poem>
थारै मिंदरियै पूरीजतौ संख म्हारै घर-आंगणियै बाजतौ कांसी-थाळ।
थारै अर म्हारै आपै रा ऐहलांण।
आपां सूं ई तौ है औ नाद गूंजतौ आखै आभै क्यूं म्हारा देव? </poem>