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आलिंगन / प्रयाग शुक्ल

आलिंगन हवाओं का ।

और ऐसा भी कि गुज़र ही
न सके हवा बीच उसके ।

और वह भी कि
हल्का हो स्पर्श ।
हो बस सरसराहट एक
वस्त्रों की ।
कंधे पर, पीठ पर हल्की-सी एक थाप ।

कुछ है आलिंगन में
जो यों दिखता नहीं
अपने भी पार चला जाता पर ।
अदृश्य कुछ सौम्य मधुर
आता उतर दो के मिल जाने पर
वापस आ भिन्न दो दिशाओं से ।