Last modified on 9 मई 2011, at 18:58

आवरण / नरेश अग्रवाल

अचानक कोई जाग जाएगा
और देखेगा जो उसने खोया था
पा लिया है
और हर पायी हुई चीज को
रखना पड़ता है सुरक्षित अपने पास ही
और संचय पुराने होते जाते हैं
समय उन्हें ढकते चला जाता है
आवरण पर आवरण
और जीवन के आवरणों से ढकी हुई चीजों से
किसी बहुमूल्य को निकाल लेता हूं एक दिन
सारी सफाई के बाद एक उत्तम खनिज
जीवन के किस रस में ढालना है इसे
अब यह हमारी बारी है।