Last modified on 26 मई 2017, at 18:22

आशीष / हरिदेव सहतू

घड़ी की
चलती सुई पर
ध्यान दो
धड़कन सुनो

मन के गर में लगा जाल
मान
नाम
अहंकार का
साफ कर डाल
कहता सहतू
उपकार हेतु
झुका लेना शीश
बरसेगा आशीष।