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आसरा / अर्जुनदेव चारण


बेटी को
सौंपकर
पिता
अंगुली
पकड़ा देता है
पति को
प्रतीक्षा करती है वह
उम्रभर
आसरे की।

अनुवाद :- कुन्दन माली