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आस्तीन में छुपे हुए हैं कैसे - कैसे नाग सुनयने / चेतन दुबे 'अनिल'

आस्तीन में छुपे हुए हैं कैसे - कैसे नाग सुनयने!
इतने दंश लगेंगे दिल पर हो जाएँगे दाग सुनयने!

फागुन तो आगया सुमुखि! पर सपने सब रह गए कुँआरे
बिना तुम्हारे कैसे सजनी! अब गाऊँगा फाग सुनयने!

तुम मुझको अपने सपनों का कहती थी सौरभ कल्याणी !
तेरा वह प्यारा मन - मोहक कहाँ गया अनुराग सुनयने!

तुमने मेरे उर - उपवन में विकसाईं सपनों की कलियाँ
आशाओं की उडी बुलबुलें, उजडा उर का बाग सुनयने!

तेरे दिल के दरवाजे तक दस्तक नहीं पहुँच पाती क्या
अपनी उर - वीणा पर मधुरे! छेड़ो कोई राग सुनयने!

तेरे छज्जे पर मँड़राने वाले कहाँ छुप गए सजनी!
पिया - मिलन की आस जगाने वाले काले काग सुनयने!

रूपसि! अपनी रूप सुधा का कब तक ऐसे दान करोगी?
समय बहुत कम है यदि तुझको जगना है तो जाग सुनयने!

तू तो मस्ती में डूबी है तुझको क्या अहसास दर्द का
जब सब पानी मर जाएगा रह जाएगी आग सुनयने!