बहुत कुछ कह लेने के बाद
बहुत कुछ कह लेने की
आस रही
आस कभी पूरी नहीं हुई
बहुत कुछ कह लेने पर
जो रह जाता है शेष
वही कविता बन जाता है
बहुत कुछ कह लेने के बाद
बहुत कुछ कह लेने की
आस रही
आस कभी पूरी नहीं हुई
बहुत कुछ कह लेने पर
जो रह जाता है शेष
वही कविता बन जाता है