जो शब्दों से चोट खाते हैं
आहत होते हैं
दुनिया भर में
नहीं होते, उनके इलाज
वे घायल ही रहते हैं हमेशा
पर उन्हीं के नील पड़े मन से
नीला रंग लेता है आसमान
उन्ही के प्रेम की लालिमा से
रोशनी बिखेरता है सूर्य।
जो शब्दों से चोट खाते हैं
आहत होते हैं
दुनिया भर में
नहीं होते, उनके इलाज
वे घायल ही रहते हैं हमेशा
पर उन्हीं के नील पड़े मन से
नीला रंग लेता है आसमान
उन्ही के प्रेम की लालिमा से
रोशनी बिखेरता है सूर्य।