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इक्कसवी सदी / पद्मजा बाजपेयी

हम बदले या न बदले, मगर सदी बादल जाएगी,
बीसवीं के जाते ही, झट इक्कीसवीं चली आएगी।
पद्दमा को प्रतीक्षा है, गुइयाँ के आवन की,
और संग-संग बैठ, जी की बतियाँ सुनावन की।
और न भी राह तके, नई-नई चाल चले,
मुझे तो भरोसा है, ऊँच-नीच देखा है
बचे हुए कामों को, झटफट निपटाएगी,
दुखों को दूर कर, नई लहर लाएगी।
ईश्वर सब भली करे, बुरी नजर दूर रहे,
सभ्यता की देवी को, बार-बार नमन करूं
आएगी-आएगी, नया गुल खिलाएगी,
अल्हड़ जवानी है, मचल-मचल जाएगी,
तारेगी, डुबाएगी, अब वही बताएगी।
नई सदी आएगी।