हम डरते हैं जिस समन्दर से
मछलियां
उसी से इश्क करती हैं
मछलियां
कितनी छोटी सामने उसके
यहां तक कि विशालकाय व्हेल भी
इश्क की कोई सीमा नहीं
हम डरते हैं जिस समन्दर से
मछलियां
उसी से इश्क करती हैं
मछलियां
कितनी छोटी सामने उसके
यहां तक कि विशालकाय व्हेल भी
इश्क की कोई सीमा नहीं