इससे पहले कि मैं आऊँ तुम्हारे घर
आँगन की धूप में तुम्हें पढ़ते हुए देख लूँ
यह उपन्यास
जिसे मैंने तुम्हारे पढ़ने के बाद वाले आलोक में छूना है
(गिरते तारे की रोशनी में
एक और तारा टूटना है)
इससे पहले कि इसे पढ़ने से मेरा बुख़ार एक सौ सात हो
यह औरत
जो पृथ्वी के ज़हरीले फूलों का सौन्दर्य रूमाल पर काढ़ रही है
जिसके टखने तक में पागलों की सान्द्रता छिपी हुई है
इससे पहले कि औरत को छूने की छाया तक आँख में लाऊँ
जो कहे जाने को बेचैन है
या न कहे जाने के नाटक में जो मुखर है पात्र
प्रेम या रूपक या प्रलय या धुआँ या मणिकर्णिका घाट
इससे पहले कि ये बनतू सूचियाँ ये स्वाँग पूरे हों
इससे पहले कि इस उस पँक्ति के मन्थन से
या ज़ेन किसी हाइकु की नोंक से
या तुम्हारे इनकार के ताज़े आघात से
समझ का भ्रम फैलने लगे प्राण में
इससे पहले कि इससे पहले का कोई अर्थ निकल आए
पका है या नहीं यह देखने
मुझे चावल का एक भी दाना नहीं उठाना
बद्री नारायण यह मेरी रसोई है