कविता लिखने की सोचता था
और डर जाता था
सच लिखना बोलने से ज्यादा ना हो बेशक
पर खतरनाक तो था ही
और अभी मैं ज़ख़्मी था
हाँफ रहा था
चाहता था विश्राम
साँस भरना ज़रूरी था अभी
कविता लिखने की सोचता था
और डर जाता था
सच लिखना बोलने से ज्यादा ना हो बेशक
पर खतरनाक तो था ही
और अभी मैं ज़ख़्मी था
हाँफ रहा था
चाहता था विश्राम
साँस भरना ज़रूरी था अभी