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ईश्वरीय प्रेम / पुष्पिता

शताब्दी की शुरुआत के
प्रथम अंश में
रख दिए हैं - अपने लाल ओंठ
प्रेम के शब्दों के लिए।

प्रेम की आत्मीयता से
रचूँगी सजल-उर-प्राण सदृश
सरस और विश्वसनीय बोली
ह्रदय से हार्दिक संवाद के लिए
धरती का आदमी जाने
पृथ्वी की अपनी औरत से प्यार करना
जो सृष्टि भी रचती है और पुरुष भी।

मैंने शताब्दी के शुरू में चुना है - प्रेम
शताब्दी के संपूर्ण जीवन के लिए।

प्रेम
बचा सकता है - समय
और समय में
पूरी शताब्दी को।

प्रेम जानता है
इतिहास की ठोकरों से
कैसे समय को
और समय को प्यार करने वाले
लोगों की छाती पर
लिखी हुई ऐतिहासिक इबारत को
बचाया जा सके।

इस शताब्दी के लिए
प्रेम की भाषा की अभिव्यक्ति के लिए
एक लिपि रचेंगे
जैसे - स्पर्श की लिपि में
होती है - प्यार की भाषा
मिठास की अनकही अंतरंगता।