Last modified on 13 दिसम्बर 2008, at 01:03

उकाब / पीयूष दईया

उकाब की पीठ पर सवार
ख़ूब ऊपर उड़ा
बादलों तक

वहाँ से उसने छोड दिया

ज़मीन पर गिरने से ऐन पहले
पकड़ लिया फिर