सूरज चाचू सो जाएँ जब,
चुपके-चुपके आऊँ!
काले-काले गाँव-शहर में,
ख़ूब उजाला लाऊँ!
नीलगगन के चंदा-तारे,
नहीं दिया, ना बाती!
दही-बड़े, ना आइसक्रीम,
बिजली मुझको भाती!
बाबा एडीसन लाए थे,
मुझको इस संसार में!
मेरा नाम बताकर झटपट,
रहो सदा उजियार में!