पगडंडी की तरह है
सफ़ेद मेरी आत्मा
ऎसा हुआ है अनगिन पैरों की
आवाजाही से
रात के सूनेपन में
झुक आता है मुझ पर उनींदा
आसपास की घास का हरापा
भोर पहर के कुहरे में
उजागर करते गुज़रते फिर मुझे
किरणों के झुंड...
पगडंडी की तरह है
सफ़ेद मेरी आत्मा
ऎसा हुआ है अनगिन पैरों की
आवाजाही से
रात के सूनेपन में
झुक आता है मुझ पर उनींदा
आसपास की घास का हरापा
भोर पहर के कुहरे में
उजागर करते गुज़रते फिर मुझे
किरणों के झुंड...