उठो पुरोहित
यज्ञभूमि में पड़ी राख जो
उसे हटाओ
फिर करना
देवों का मंत्रों से आवाहन
पहले खोलो
यज्ञ-अश्व के सारे बंधन
इसी जगह
कल चिता जली थी
उसके सारे चिह्न मिटाओ
इहर तुम्हारे हवनकुंड में
खून भरा है
यज्ञपात्र भी उलटा-सीधा
उधर धरा है
पहले शुद्ध करो
इन सबको
फिर अपनी आसनी बिछाओ
ऊँघे थे तुम
उसी बीच में निशिचर आये
उनके सँग आये
उनके हिंसक चौपाये
यज्ञभूमि में
घना अँधेरा
सबसे पहले दीप जलाओ