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उदासी / शिवप्रसाद जोशी

हरा है पेड़
ख़ूब टहनियाँ पत्ते
हवा में झूमते
खेलते

आसमान में बादल
चिड़ियाँ कई रंग की आती बैठने
एक सुरीला गीत गूँजता रहता
छाँव में पेड़ की मंडराता कुत्ता
जाती चींटियों की कतार पेड़ पर चढ़ने
ख़ुशी की चाहत को भिगोए रखती अपनी अनिवार्यता से

उदासी
नहीं जाती कही