रात उदास है
बेहद उदास
जिंदगी क्या है
महज
कब्र की-सी खामोशी...
तुम्हीं कहो दोस्त
आज की रात
दर्द को
कविता में ढालूँ
या फिर
कविता को
दर्द बन जाने दूँ...?
रात उदास है
बेहद उदास
जिंदगी क्या है
महज
कब्र की-सी खामोशी...
तुम्हीं कहो दोस्त
आज की रात
दर्द को
कविता में ढालूँ
या फिर
कविता को
दर्द बन जाने दूँ...?