सीपी को चुन लिया तुमने
अपनी आँख के लिए :
अहा ! सीपी-सी उजली ।
और शंख ?
-शुभ्र ग्रीवा !
फिर भला घोंघा ही पीछे क्यों रहता !
घोंघा भी था वहीं,
आसपास ही कहीं-
कभी सीने में सिमटता,
कभी सर में सरकता ।
सीपी को चुन लिया तुमने
अपनी आँख के लिए :
अहा ! सीपी-सी उजली ।
और शंख ?
-शुभ्र ग्रीवा !
फिर भला घोंघा ही पीछे क्यों रहता !
घोंघा भी था वहीं,
आसपास ही कहीं-
कभी सीने में सिमटता,
कभी सर में सरकता ।