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उभयचर-24 / गीत चतुर्वेदी

मेरी कार के समांतर वह लड़का ऐसी रफ़्तार से चला रहा था साइकल जैसे कार को पछाड़ देगा : मैं ब्रेक दबा गाड़ी को धीमा और धीमा करता रहा : सरसराकर आगे निकल गया वह लड़का : रहम की मेहर से खिसियाया हुआ झुक कर सुस्ताने लगा : तभी मैंने रेज़ दे दी सर्रर्र से आगे निकल आया : उसे दुबारा सांस संभालने में एक और शीत-युद्ध बीत चुका होगा : कार के भीतर शोस्ताकोविच की सिंफनी थी : कार से बाहर बीथोफ़न का बहरापन