Last modified on 11 मार्च 2018, at 09:17

उमाळ / ओम बधानी

फेर उमळी उमाळ जिकुड़ि म
तर खत्यैनि आंसु मुखड़ि म
सरिन बादळ खुद क जिकुड़ि म
बरख्या बादळ आंसु क मुखड़ि म।

तेरि माया कि कुटमुणि फूल बणिगे
रंगस्याळेगे दुन्या आंखि तणिगे
ताणा गाळि उपजी उंठड़्यों म
चुभदा सूल बणिक जिकुड़्यों म।

सितगौं म जु छै बणाग ह्वैगे
आंख्यौं न उठि मन तक पौंछिगे
आग माया कि लगी जिकुड़ि म
पिड़ा खुद की चमळैगे जिकुड़ि म।