दिन भर तो
उसकी यादें
हृदय व देह की
खोह के अँधेरे
कोनों में
चिमगादड़ - सी
चिपकी रहती हैं
और रात में
निकलती हैं
मेरी निर्बल
कच्ची नींदों से
टकराने के लिए
इधर - उधर
पंख फैलाए
नींद को कर देती हैं
चूर - चूर
अति प्रेम का
प्रतिशोध लेने के लिए
मुझे पीड़ा देने के लिए।