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उसकी हँसी / नरेन्द्र जैन

खिलौने हँस रहे हैं
हमेशा की तरह

हमेशा की तरह
विस्मय में डूबी आँखें खोले
देख रहे हैं हमारी तरफ़

कल रात
चोरी छिपे मैंने देखा
उनकी मुद्रा में कोई फ़र्क नहीं आया

रात गए वह खिलौना
मुझे हँसता मुस्कुराता मिला

सुबह हुई
वह दिखा जैसे
मीठी नींद सोया हो रात भर

हमेशा की तरह
पूछे उसने कुछ सवाल
हँसा फिर
एक बार वह