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उसने कहा / बलबीर माधोपुरी

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उसने कहा

मैं चिरकाल से

तुम्हारे पीछे चला आ रहा हूँ

अब तुम, मेरे पीछे चलो ।


उन्होंने कहा

हमारे पास मुँह है

और तेरे पास पैर

पैरों का धर्म चलना होता है।


उसने कहा

मैंने बहुत देर तक

हाँ में हाँ मिलाई है

अब मेरे बोल सुनो।


उन्होंने कहा

ज़बान हमारे पास है

और कान तुम्हारे पास

कानों का धर्म सुनना होता है।


उसने कहा

तुमने मुझे बेघर किया है

मेरा घर मुझे वापस दो।


उन्होंने कहा

आदिवासियों का घर जंगल है

हम जंगल की हवा फैलाएंगे

हवा के खिलाफ जाना पाप है।


उसने कहा

मैं हूँ–आँखों पर पट्टी बंधा बैल

थके–हारे को अब करने दो आराम

और खोलो मेरी आँखें।


उन्होंने कहा

तुम्हारा धर्म देखना नहीं

देख कर अनदेखा करना है।


उसने कहा

मैं हवा के खिलाफ चलूगा

तुम्हारे शब्द बनेंगे

मात्र गुम्बद की आवाज़ ।


उन्होंने कहा

हवा को थामना

आवाज़ को रोकना

अब बिलकुल असंभव है, असंभव है।