(शमशेर की याद में)
उस रात कँपकँपाती ठंड
जो कुहरे के डर से
तेरे आँचल में दुबक गई थी
आज इस शीतलहरी में
मुझे गर्मी दे रही है.
(शमशेर की याद में)
उस रात कँपकँपाती ठंड
जो कुहरे के डर से
तेरे आँचल में दुबक गई थी
आज इस शीतलहरी में
मुझे गर्मी दे रही है.