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एकांत / राहुल कुमार 'देवव्रत'

यह भी जीवन है
क्षण क्षण परीक्षा देना
अतिशय दुख विपत्ति के माहौल में भी
खुद को संयम में रखना
पुरखों की बनाई इमारत
संजोकर रखे मानवीय मूल्य को
आंखो के सामने ढ़हते देखना
सामर्थ्य और विवेक रहते हुए भी
प्रतिबंध ऐसा
कि बचाने का लेशमात्र भी प्रयास न करना
अट्टालिका छोड़ बदबूदार कमरे में रहना
दूषित हवा पीना
हर पल भय के माहौल में जीना
कुल मिलाकर कहना ये
कि जीने के लिए रोज मरना
मान बचाने के लिए नित अपमानित होना
कल का सूर्योदय सुख लाएगा
इस कल्पना में
हर पल दुख के साए में जीना
जी घबराता है
दुस्सह लगता है
किंतु यह भी जीवन है